- मड़वा के सम्पूर्ण घटना क्रम की हो न्यायिक जांच, घटना के लिए दोषी है प्रदेश कांग्रेस की सरकार- भाजपा का आरोप
- मड़वा बवाल को लेकर सांसद अजगल्ले, विधायक नारायण चंदेल. विधायक सौरभ सिंह, व भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्रा ने की संयुक्त प्रेसवर्ता
- जिले में स्थापित प्लांटो मंें स्थानीय लोगों की भर्ती और सीएसआर मद के खर्चे पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग
जांजगीर-चांपा/ जिले के अटल बिहारी ताप विद्युतगृह मड़वा तेंदूभांठा में 02 जनवरी को हुए घटनाक्रम को भाजपा ने दुर्भाग्य पूर्ण बताया है और इस पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। इस मामले को लेकर क्षेत्रीय सांसद गुहाराम अजगल्ले, जांजगीर-चाम्पा क्षेत्र के विधायक एवं प्रदेश महामंत्री नारायण चंदेल, अकलतरा विधायक सौरभ सिंह, और भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णकात चंद्रा ने संयुक्त रूप से प्रेसवार्ता कर सरकार और जिला प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
प्रेसवार्ता के दौरान जांजगीर-चांपा विधायक नारायण चंदेल ने कहा कि 28 दिनों से आंदोलन कर रहे भूविस्थापित संविदा कर्मियों की मांगों पर किसी तरह का निर्णय नही लिया गया और उन्हे उकसाया गया। विधायक नराायण चंदेल ने पूरे मामले के न्यायिक जांच की मांग की है। साथ उन्होंने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में संविदाकर्मियों के नियमितीकरण का वादा किया था उसे निभाना चाहिए। विधायक चंदेल ने कहा क क्षेत्र में स्थाति प्लांटो ंमें कितने लोगों को नौकरी दी गई है कितना सीएसआर का फंड स्थानीय स्तर पर खर्च किया जाता है इस पर सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।
अकलतरा विधायक सौरभ सिंह ने कहा कि अटल बिहारी ताप विद्युतगृह मड़वा तेंदूभांठा के भूविस्थापितों को दूसरे जिलों में लाईन परिचारक के रूप में भती्र दी गई है जबकि उसी पद पर नियमित भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी जिसकी वजह से भूविस्थापित संविदा कर्मी आंदोलन को मजबूर हुए जिन्हे शासन नही ही मजबूर किया है और संपर्ण घटना क्रम की दोषी सरकार है।
सांसद गुहाराम अजगले ने कहा कि जिला प्रशासन की भूमिका इस संपूर्ण घटनाक्रम में भूविस्थापितों के प्रति सही नही रहा है घटना के बाद स्थति को सुलझाने के बजाए जिला प्रशासन उलझाा रहा है प्रशासन को अभी भी निर्दोषों को कोई सजा ना हो इसबात के लिए बीच का रास्ता निकालने का प्रयास करना चाहिए।
इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से या विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से इस आंदोलनरत कर्मचारियों को वार्ता के लिये नहीं बुलाया गया यदि समय रहते वार्ता हो जाती हो मड़वा की दुर्भाग्य पूर्ण घटना नहीं होती। आश्चर्य जनक बात ये है कि मड़वा की घटना को घटित हुए 16 दिन बित गये लेकिन मड़वा पर अभी भी कांग्रेस मौन है, जिला एवं प्रदेश के किसी भी कांग्रेस नेताओं का मड़वा को लेकर कोई बयान या पीड़ितों के प्रति कोई सहानुभुतिपूर्वक शब्द नहीं निकले यह कांग्रेस के नेताओं की संवेदनहीनता का प्रमाण है।
प्रेसवार्ता के दौरान भाजपा नेताओं ने आरोप लगाए कि
1 मड़वा में घटित हुए घटना के लिये राज्य सरकार पूर्ण रूप से दोषी है। सम्पूर्ण घटनाक्रम की हो न्यायिक जांच ताकि घटना की सत्यता सामने आ सकें। निर्दोश कर्मचारियों के ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही होनी चाहिए।
2 राज्य सरकार की हट धर्मिता, संवाद हिनता व समय पर वार्ता नहीं होने के कारण यह घटना दुर्घटना में तब्दील हो गई। प्रदेश सरकार पुलिस व प्रशासन को समी लोगों को विश्वास में लेकर विधि संवत चर्चा के माध्यम से कर्मचारियों के नियमितिकरण किये जाने के विषय पर सर्व सम्मत समाधान निकालने का प्रयास करना चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार के घटनाओं की पुनारावृत्ति क्षेत्र व पूरे प्रदेश में कहीं न हो।
3 जो लोग घटना में शामिल नहीं थे, उन पर भी अपराध कायम करना गलत है। जिन लोगों को बातचीत के लिये बुलाया गया, उनको हिरासत में ले लिया गया।
4 कांग्रेस के घोषणा पत्र में नियमिति करण का वादा था। ये लोग यहीं मांग कर रहे थे। सभी किसान पुत्र है जिनकी पुस्तैनी भूमि पर संयंत्र लगा है, इन पर इस तरह का व्यवहार निंदनीय।
जांजगीर थाना क्षेत्र के मड़वा तेंदूभाठा में स्थित अटल बिहारी ताप विद्युत गृह भूविस्थापित संविदा कर्मी 06 दिसंबर से नियमितिकरण सहित 5 सूत्रीय मांगों को लेकर चरण बद्ध आंदोलन कर रहे थे मगर उनकी मांगों को अनसुना किया जाता रहा है जिसके 01 जनवरी संविदा कर्मी और क्षेत्र के भूविस्थातिप परिवार की महिलाएं प्लांट का गेट बंद कर मुख्य द्वार के सामने ही प्रदर्शन कर रहे थे। 02 जनवरी को आंदोलन का 28 वां दिन था और सुबह से ही समझौता वार्ता को लेकर गहमा गहमी का महौल प्लाट के बाहर और अंदर था। जिले के कलेक्टर, एसपी प्लांट अधिकारियों के अलावा प्रशासन के तमाम लोग अंदर मौजूद थे मगर बात नही बन रही थी जिसके बाद शाम 05 बजे विडियो कांफ्रेसिंग की बात तय हुई जिसमें रायपुर स्तर के अधिकारी शामिल होते और हल निकाला जाता बैठक अंदर जारी थी मगर इसी बीच बाहर विवाद बढ़ गया पुलिस ने सख्ती दिखाई तो भारी तादात में मौजूद भूविस्थापित और महिलाएं उन पर टुट पड़े और महौल बिगड़ने में वक्त नही लगा और भीड़ पुलिसकर्मियों पर भारी पड़ गई। कई पुलिसकर्मियों को घेर कर पीटा गया महिला पुलिसकर्मियो को भी नही छोड़ा गया। प्लांट के अलग अलग हिस्सों मेे भारी तोड़फोड़ की गई प्रशासन और पुलिसकर्मियों की गाड़ियों में भी तोड़ फोड़ की गई।
नुकसान का आंकलन जारी, प्रारंभिक आंकड़ा आया सामने:-इस संबंध में अटल बिहारी ताप विद्युत गृह से मिली जानकारी के मुताबिक उपद्रव के दौरान प्लांट को भारी नुकसान उठाना पड़ा है भारी तोड़ फोड़ कर प्लांट की संपत्ति को नुककसान पहुॅचाया गया है प्लांट में संचालित अस्पताल भी नही बख्सा गया वहीं शासन प्रशासन की गाडियों, स्कूल बसों और पुलिसकर्मियों की गाड़ियों में भी तोड़-फोड़ और आगजनी की गई। प्लांट में हुए तोड़ फोड़ के प्राथमिक आंकड़ों के मुताबिक डेढ़ करोड़ से ज्यादा के नुकसान का प्राथमिक आंकलन सामने आया है जिसका उल्लख एफआईआर में भी करा दिया गया है वहीं अभी आंकड़ा और भी बढ़ने की संभावना है।
अब तक 19 की हुई है गिरफ्तारी, 400 से ज्यादा लोगों पर दर्ज है एफआईआर:- 02 जनवरी को प्लांट परिसर में हुए हंगामें के बाद पुलिस और प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए 400 से ज्यादा लोगों पर एफआईआर दर्ज किया जबकि अब तक 19 लोगों की गिरफ्तारी की गई है वहीं पुलिस और प्रशासन ने भूविस्थापित संविदा कर्मियों के कार्यस्थल और उनके मुख्यालयों से संपर्क साधा है और भूविस्थापित संविदाकर्मियों की कार्यस्थल से गैरहाजिरी को कार्यवाई का आधार बनाया जा रहा है हांलांकि इस बीच पुलिस अधीक्षक प्रशांत ठाकुर और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय महादेवा के स्थानांतरण की वजह से कार्यवाई धीमी पड़ चुकी है पर जल्द ही बड़ी कार्यवाई की बात कही जा रही है।